अधिकारों की ज्वाला जगे, जगाओ क्रांति का इंक़लाब, योग पर हो रहा अत्याचार, मिटाओ भ्रष्टाचार का जाल, नकली गुरुओं का धंधा बंद, असली योग का हो राज , …
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जो भूल जाएँ धरा अपनी को, वो सुत नहीं, जहां हो न सबका सम्मान, वो स्थान उपयुक्त नहीं। पुत्र पुष्करणा लिख रहा है, घर अपने पर, समर्थन करना परिवार ज…
जन्मा न हूँ मैं, न मृत्यु हो मेरी, मुझसे ही सृष्टि की, उत्पत्ति है हुई। मैं काल हूँ विक्राल हूँ, मैं ही तो महाकाल हूँ, इस सृष्टि की धरा मैं हू…